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अमृत बचन
Monday, December 26, 2011
पाप गरौँ, पछाडी प्रायश्चित गरौला- यसरि जानी -बुझी गरेको पाप को कहिले पनि प्रायश्चित हुदैन |
---------श्री हरी ---------
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